Thursday, May 31, 2007

टूटे हुए से माँगना......

है बहुत आसान यहाँ, टूटे हुए से माँगना |
पर नही आसान, क्यूं टूटा हमारा जानना |

कौन है सूरज यहाँ, ये जानते है लोग सब |
पर नही आसान,क्यूं जलता है वो ये जानना |

रोशनी दीपक से है, ये जानना आसान है |
दर्द परवानो का क्या, मुस्किल है यारो जानना |

है अमर इतिहास में, अब भी करोणो सूरमा |
है नही आसान अब, उनके क़ब्र को पहचानना |

है बहुत आसान, यहाँ टूटे हुए से माँगना |
पर नही आसान, क्यूं टूटा हमारा जानना |

2 comments:

  1. सुन्दर रचना। कुछ शेर बहुत प्रभावी है जैसे:

    है बहुत आसान यहाँ ,टूटे हुए से माँगना।
    पर नही आसान, क्यूं टूटा हमारा जानना।

    हैं अमर इतिहास में, अब भी करोडो सूरमा।
    आसां नही है यार,उनकी क़ब्र को पहचानना।

    बधाई आपको।

    *** राजीव रंजन प्रसाद

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  2. bahut hi usndar likha hai aapne ...keep posting ...

    रोशनी दीपक से है, ये जानना आसान है /
    दर्द परवानो का क्या, मुस्किल है यारो जानना /

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