Monday, September 22, 2008

शांति के राज दूत बापू




यार अहिंसा के द्योतक को,
हमने क्या क्या दिखा दिया|
हिंसा के कारक पर हमने,
बापू का फोटो लगा दिया|

वो सामिल हैं घुसखोरी मे,
छोटी से छोटी चोरी मे |
राम राज का स्वप्न यहाँ अब,
बंद है आज तिजोरी मे |

अब उसके खद्दर के अंदर,
उनके हर अरमान जलते है |
यार पहन कर अब खादी,
यहाँ लोग घोटाला करते हैं |

अब उसके लाठी के उपर,
राज यहाँ पर चलता है |
जिस दीवार पर चित्र लगा हो,
सब प्लान वही पर बनता है |

अब बापू के जन्म दिवस पर ,
ड्राई डे हो जाता है |
पर मदिरा बहती है निर्झर,
दाम ज़रा बढ़ जाता है |

यार अहिंसा के द्योतक को,
हमने क्या क्या दिखा दिया |
विश्‍व शांति के राज दूत को,
सोचो हमने क्या बना दिया |

1 comment:

  1. बिल्कुल सही कह रहे हैं-क्या क्या दिखला डाला बापू को!!


    बेहतरीन रचना, वाह!!

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