Sunday, November 30, 2008

बाँध सबर का टूट ना जाए (पाक की औकात )

जब ख़ौफ़ नही है मरने का, फिर मुद्दा क्या है डरने का |
सब एक साथ ही आ जाओ, यूँ लूक्का-छिप्पि करना क्या ||

यूँ बारी-बारी तड़प-तड़प, कापुरुषों सा अब जीना क्या |
नापाक इरादों के गिरगिट, यूँ रंग बदल अब जीना क्या ||

है जिस्म हमारा भारत से, फिर भारत मे मिल जाएगा |
पर जब ठनका माथा अपना, तू भाग कहाँ फिर जाएगा ||

हम तो बारुदों पर चल कर, यहाँ इस मुकाम पर आए है |
इतनी तेरी औकात ना थी , हम जितना सहते आये है ||

ये ताज नही है फूलों का , जब चाहा इसे पहन लोगे |
गर हुई हिमाकत फिर ऐसी, लाहौर भी तुम तब खो दोगे ||

बाँध सबर का टूट ना जाए, ये दुआ करो अपने रब से |
खोज ना पाओगे खुद को , जब भूले से भी हम सनके ||

भीख के धन पर ऐश करो, ना ऐसे व्यर्थ गावओ तुम |
छोड़ो चिंता अब धर्म-क़ौम की, खुद का घर बनवओ तुम ||

करने को पूरा पाक ध्वस्त, यहाँ एक जवान ही काफ़ी है |
यहाँ करने से पहले कुछ भी, सौ बार सोचकर आना तुम ||

यहाँ लुक-छिप गोलाबारी कर, तुम हमे हिला ना पाओगे |
हमे मिटाने की चाहत मे, खुद मिट्टी मे मिल जाओगे ||

है जिस्म हमारा भारत से, फिर भारत मे मिल जाएगा |
पर जब ठनका माथा अपना, तू भाग कहाँ फिर जाएगा ||

Tuesday, November 25, 2008

सूखे शब्दकोष

भाव भुला कहीं, रस का अभाव सा,
खो गये रंग भी, और अलंकार भी |
सोच कुंठित हुई, शब्द भी खो गये,
पात्र झूठे लगे, ज़िंदगी के मुझे ,
ज़िंदगी भी मुझे आज झूठी लगी |
शब्द सागर मे एक बूँद बाकी नही,
भाव सागर भी मुझको यू खाली मिली |
जब भी चाहा की कुछ मै नया सा लिखूं,
मुझको हर मोड़ पर फिर उदासी मिली |
सूत्रो मे मैं बँधा ही रहा हर घड़ी,
सोच को भी जहाँ कुछ आज़ादी ना थी |
था मात्रा की गड़ना से आज़ाद मै,
चार चरणो से खुद को बचा ना सका |
भाव भुला कहीं, रस का अभाव सा |
खो गये रंग भी, और अलंकार भी |

Friday, November 14, 2008

उपहार !!

लंबा है पथ, खुली सड़्क है,
अपनो का अंबार सज़ा है |
जब तक कुछ दे सकते हो,
बस तब तक संसार खड़ा है |

जब चाहोगे प्यार मिलेगा,
खुशियो का संसार मिलेगा |
जब तक मुठ्ठी बँधी हुई है ,
बस तब तक सम्मान मिलेगा |

इस भीड़- भाड़ की दुनियाँ मे,
अब तुझको भी स्थान मिलेगा |
भरा हुआ है गला जभि तक,
बस तब तक ही दान मिलेगा |

हर शुख सुविधा द्वार खड़ी है,
अब तुझको गले लगाने को |
है जब तक गिरवी रखने को,
बस तब तक उपहार मिलेगा |

पूजा भी फलदायक होगी,
"आनंद" भी वरदान मिलेगा |
जब तक त्याग करोगे तुम,
बस तब तक परिवार मिलेगा |

कुछ देने का प्रण कर लो,
तो तुझको भी संसार मिलेगा |
साथ रहे जो हर शुख दुख मे,
अब ढूँढे से वो यार मिलेगा |

लंबा है पथ, खुली सड़्क है,
अपनो का अंबार सज़ा है |
जब तक कुछ दे सकते हो,
बस तब तक संसार खड़ा है |