Thursday, January 1, 2009

कैसे मनाया नया साल ||

उसने दस्तक दिया मेरे दर पर बहुत ,
फोने कर के मुझे फिर बुलाता रहा ||
पी के सोया था घर मे जो उस रात को ,
बॉस दो रात तक फिर जगाता रहा ||

फ्री कि मुझको मिली और मैं पीता गया,
जाने कब पाँव फिर लड़खड़ाने लगा ||
दोष मेरा ना था, पर मैं बदनाम था,
हर कोई मुझपर तोहमत लगाता गया ||

मेरे चेहरे का कुछ और ही हाल था,
दाँत थे हिल रहे, जबड़ा बेहाल था ||
देखकर शर्मा गया आईना भी मुझे ,
अपना परिचय जब उससे कराने लगा ||

पेट मे थी कसक, पैर बेहाल था,
पीठ पर दर्द का आया भूचाल था ||
भूलकर दर्द को घर से निकला ही था,
शोर आने लगी वो गया साल था ||

उसने दस्तक दिया मेरे दर पर बहुत ,
फोने कर के मुझे फिर बुलाता रहा ||
पी के सोया था घर मे जो उस रात को ,
बॉस दो रात तक फिर जगाता रहा ||

1 comment:

  1. उसने दस्तक दिया मेरे दर पर बहुत ,
    फोने कर के मुझे फिर बुलाता रहा ||
    पी के सोया था घर मे जो उस रात को ,
    बॉस दो रात तक फिर जगाता रहा ||

    bahut achchey!

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