Wednesday, January 7, 2009

हादसा.....

जब हृदय कि बात कोई,
बिन कहे सुनने लगे |
और सारे रास्ते,
खुद आप से जुड़ने लगे |
जब हवा खुद रुख़ बदल कर,
आप संग चलने लगे |
और सारे फूल कलियाँ,
खुद राह मे बिछने लगे |

तुम चलो चाहे जहाँ,
और कारवाँ बनने लगे |
तेरी कही हर बात जब,
सारा जहाँ सुनने लगे |
जब समंदर खुद-ब-खुद,
देने लगे तुम्हे रास्ता,
बच के रहना खुद से भी,
कही हो ना जाए "हादसा"|

3 comments:

  1. बच के रहना खुद से भी
    कहीं हो ना जाये हादसाबहु बडिया

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  2. जब सारे ग्रह, सारे गण, दसों दिशाएं, सारी कायनात का आंचल अपने साये में ले ले तब तो हादसे के साथ ही हादसा हो सकता है।

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  3. aap sabhi ka TAPASHWANI par hardik swagat hai..

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