Sunday, January 11, 2009

कुछ बंदीसे

दिल के हर अहसास को,
हम काश कह पाते |
उमड़े हुए हर भाव को,
कागज पर लिख पाते ||

बहुत कुछ दिल मे है मेरे,
जो ऐसे कह नही सकता |
बड़ी मुस्किल है बिन बोले भी,
मैं अब रह नही सकता ||

मगर कुछ बंदीसे ऐसी है,
जो मुझे भी रोकती है |
अगर अपनी पर आजाए,
तो सरहद चीज़ क्या है ||

3 comments:

  1. बहुत ही सुंदर लाईनें हैं.
    बहुत ही सुंदर और खुबसूरत रचना है
    आपकी. नव वर्ष की शुभकामनायें.
    नया साल आपको शुभ हो, मंगलमय हो.

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