Monday, February 2, 2009

कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ

सब भाव यहाँ मिल जाएँगे,
शब्दों के जाल बनाओ अब |
जिससे भर जाए आंखे ,
कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ अब |
तेरा मेरा है अजर-अमर ,
रिस्तो के बाँध बनाओ अब |
जिससे सज जाए अम्बर,
एक ऐसा गाँव बसाओ अब |
हर दुआ असर दायक होगी,
मन्नत का दौर चलाओ अब,
जिससे भर जाए दामन ,
कुछ ऐसे ध्यान लगाओ अब |
बहुत हो चुका मार काट,
न ऐसे धर्म निभाओ अब |
इस बारूद के बिस्तर पर,
न ऐसे आग लगाओ अब |
सब भाव यहाँ मिल जाएँगे,
शब्दों के जाल बनाओ अब |
जिससे भर जाए आंखे ,
कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ अब

8 comments:

  1. बहुत सुंदर गीत...सरल शब्दों में गहरी बात...
    नीरज

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  2. बहुत सुंदर गजल.
    आप का धन्यवाद

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  3. बहुत सुंदर

    सब भाव यहाँ मिल जाएँगे,
    शब्दों के जाल बनाओ अब |
    जिससे भर जाए आंखे ,
    कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ अब

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  4. जिससे सज जाए अम्बर,
    एक ऐसा गाँव बसाओ अब |
    हर दुआ असर दायक होगी,
    मन्नत का दौर चलाओ अब,
    जिससे भर जाए दामन ,
    कुछ ऐसे ध्यान लगाओ अब |
    बहुत हो चुका मार काट,
    न ऐसे धर्म निभाओ अब |

    वाह वाह वाह !!! बहुत बहुत सुंदर......मन मगध कर दिया पंक्तियों के पवित्र भाव ने.

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  5. आप सभी के स्नेह और प्यार के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
    उम्मीद करता हूँ की आप सभी के विचार इसी प्रकार मिलते रहेंगे

    तपस्वनी

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  6. bahut hi sunder abhivyakti hai ashaa hai aapka ye sapna jroor pura hoki log manav dharam ki paribhaasha samajh len

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