Friday, February 20, 2009

अच्छा लगा ...आनंद

हर गली हर मोड़ पर
जो भी मिला अच्छा लगा
बंद कलियाँ भी मिली
कोई फूल सा खिल के मिला
कुछ फूल काँटों संग मिले
कुछ फूल बिन काटों मिला
पर इस कड़कती धुप में
जो भी मिला शीतल लगा |
कुछ मिले धब्बो के संग
कुछ लोग रंगों संग मिले
पर इस मतलबी भीड़ में
जो भी मिला हंस कर मिला
कुछ यार मिलने को मिले
कोई बोझ सा तन कर मिला
पर जो भी मिला आनंद से
आनंद फ़िर खुल के मिला |||||

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