Wednesday, April 29, 2009

इश्वर या खुदा

क्या हुआ मस्जिद गिरा के,
जब न मंदिर बन सका |
तेरे आपसी षडयंत्र से ,
बिन छत के मौला रह गया |

मेरे लिए जो राम है,
तेरे लिए रहमान है |
अंतर था केवल नाम का,
जिससे खुदा तक बँट गया |

सोचा न था उसने कभी,
जिसने दिया था जन्म फिर,
क्यूँ हाँथ में तलवार ले ,
भाई से भाई कट गया |

तू मांगता कर खोलकर ,
मैं हाँथ जोड़े मांगता हूँ |
फिर अहम् किस बात का,
जाती धरम और पात का |

बीतेगा क्या दिल पर तेरे,
कैसे करेगा तू सामना ,
जब तेरे दश नाम पर,
बच्चे तेरे लड़ने लगे |

आओ यहाँ मिल कर सभी,
पूजा करें कलमा पढ़े |
है चार दिन की ज़िन्दगी,
जाना है सबको फिर वहाँ |

Wednesday, April 15, 2009

विनोद दूआ LIVE

है रूतबा और गुण भी है,
सच बोल सके ये दम भी है |
बस 20 मिनट,हफ्ते मे 4 दिन,
शायद समय थोड़ा कम है |
इस बड़े भारत देश मे,
हर मोड़ बदलता ज़ायक़ा |
कौन है जो कम समय मे,
फैला सके इतना रायता ?
परिवर्तन की आँधी है ये,
लुक्का छुप्पि बहुत हुआ |
आने वाला कल बेहतर हो,
हो जब संग अपने विनोद दूआ|
आनंद है यहाँ उनका फ़ैन,
जो बात कहे बिन रोक टोक |
आवाज़ उठा और कदम बढ़ा,
अब देर न कर चल दिल्ली चल |