Thursday, February 11, 2010

तेरे इस बाज़ार में मौला

तेरे इस बाज़ार में मौला,
बस चिकनी चीजे बिकती है |
मन चंचल हो जाये जिससे,
बस वो सूरत ही दिखती है |

यहाँ बेच रहा है हर कोई,
अब तेरे मेरे सपनों को |
हो सौदा यहाँ मुनाफे का,
फिर वस्तु चाहे  जैसी हो |

विज्ञापन से आज यहाँ,
सब मुमकिन हो जाता है|
जब बोतल में नल का पानी,
यहाँ गंगा जल बन जाता है|

नामुमकिन सा काम यहाँ,
आकर मुमकिन हो जाता है |
फटा पुराना कपडा भी अब,
लाखों में बिक जाता है |

हर गली में हर चौबारे पर,
ना  जाने क्या चुभ जाता है |
तेरे इस बाज़ार में मौला,
जब इज्ज़त बिक जाता है |

तेरे इस बाज़ार में मौला,
बस चिकनी चीजे बिकती है |
मन चंचल हो जाये जिससे,
बस वो सूरत ही दिखती है |

2 comments:

  1. vaah!!बहुत बढ़िया पेरोडी है....सार्थक।

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  2. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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