Friday, March 26, 2010

भीड़ जो अच्छी लगी, मैं यार उसमे खो लिया

मन में झांके हर किसी के,
यार ये मुमकिन ना था |
तन से जो सुन्दर लगा,
हम यार उसके हो लिए |

एक घडी में हर किसी को,
जान ले मुमकिन ना था |
एक नजर में जो जँचा'
हम यार उसके हो लिए |

वो जो प्यार का  था रास्ता,
मेरे लिए तो  नया ही था |
चले डगमगा के जिधर कदम
मैं उसी लगी में निकल गया |

संग कारवां का साथ हो,
ये चाह तो बचपन से थी |
फिर भीड़ जो अच्छी लगी,
मैं यार उसमे खो लिया |

Sunday, March 7, 2010

हमको कोई खतरा नहीं??????

गंध बारूदों कि अब,
आने लगी हर मोड़ से |
कह रहा है हर कोई,
हमको कोई खतरा नहीं |

यहाँ धर्म भाषा जाति कि,
चिन्गारियाँ  बिखरी हुई  |
पर कह रहा है हर कोई |
मुझको कोई खतरा नहीं |

अब पडोसी तक दखल,
देता है हर एक बात में |
पर कह रहा है रहनुमा,
उनसे कोई खतरा नहीं |

है लचर अपनी व्यवस्था,
ये जानता है हर कोई  |
पर दिलासा दे रहा है,
हमको कोई खतरा नहीं |

है समय अब भी,
सुधर जाएँ अगर तो ठीक है |
बाद में कह ना सकेंगे,
हमको कोई खतरा नहीं.|