Saturday, November 27, 2010

याद.........

यकीं तो है कि फिर रंगत चमन कि लौट आएगी,
मगर सब जख्म भर जाए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
तुम्हारी याद दामन में, चिकोटेंगी मुझे जब भी,
तुम्हे मैं भूल पाऊँगा, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |