आज भी धुंधले सही,
पर याद हैं कुछ रास्ते |
एक वो है जिस पर घर तेरा,
दूजा जहां देखा तुझे |
सोचा कभी सच बोल दूँ,
सब भेद दिल के खोल दूँ |
पर रुक गएँ पग, जम गएँ लभ |
जब सामने देखा तुझे |
वो झुक के चलने कि अदा,
चेहरे पर बालों कि घटा |
वो डर से सहमा तन बदन,
कैसे मैं भुलूँ वो दास्ताँ |
ऐसा न कि देखा नहीं,
चंचल बदन, मुख चन्द्रमा |
पर आज भी भुला नहीं,
कॉलेज में पहला दिन तेरा |
पर याद हैं कुछ रास्ते |
एक वो है जिस पर घर तेरा,
दूजा जहां देखा तुझे |
सोचा कभी सच बोल दूँ,
सब भेद दिल के खोल दूँ |
पर रुक गएँ पग, जम गएँ लभ |
जब सामने देखा तुझे |
वो झुक के चलने कि अदा,
चेहरे पर बालों कि घटा |
वो डर से सहमा तन बदन,
कैसे मैं भुलूँ वो दास्ताँ |
ऐसा न कि देखा नहीं,
चंचल बदन, मुख चन्द्रमा |
पर आज भी भुला नहीं,
कॉलेज में पहला दिन तेरा |