TAPASHWANI
बे रस होती आधुनिक काव्य और तकनीक
Friday, September 21, 2012
तेरी तलाश में
कहने को चार दिन कि थी, ये ज़िन्दगी अपनी |
शदियों गुजर गएँ , एक तेरे इंतजार में |
कहतें थें जमी गोल है, टकरायेंगे एक दिन,
तब से सफ़र में हूँ, मैं बस तेरी तलाश में |
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