Sunday, November 17, 2013

हिमालय जैसे दिखते बाबूजी ...

Dedicated to Pitaji, :)

I tried several times to tell him that I love him very much and I can not imagine myself without his warm support and guidance.

I don't know why, but failed to express my love and care each time, so writing below lines for my role model my hero 'PITAJI'.

I love you PITAJI.

माँ दरिया सी सरल, हिमालय जैसे दिखते बाबूजी,
न्यौछावर ममता निर्झर, तो उधर भाव सब काबू भी । । 

माँ दरिया सी सरल, हिमालय जैसे दिखते बाबूजी  ……… 

अम्मा कि थपकी सुकून, थप्पड़ सुबूत है बाबूजी, 
जब माँ के मीठे बोल ढील दें, दें ठुमकी साधें बाबूजी । । 

माँ दरिया सी सरल, हिमालय जैसे दिखते बाबूजी  ……… 

माँ कुम्हार के नरम हाँथ, और जलती भट्टी बाबूजी, 
माँ मुझको देतीं हैं आकार , पर यार पकाते बाबूजी । । 

माँ दरिया सी सरल, हिमालय जैसे दिखते बाबूजी  ……… 

माँ हिंदी कि सरल विधा, संस्कृत से क्लिष्ट हैं बाबूजी,
माँ सुरताल भरी कविता, और वयंग बांड से बाबूजी ॥ 

माँ दरिया सी सरल, हिमालय जैसे दिखते बाबूजी ……… 

माँ के सारे भाव प्रकट, पर हर भाव छुपाते बाबूजी, 
माँ धरती की नरम घाँस , और घने वृक्ष हैं बाबूजी ॥ 

माँ दरिया सी सरल, हिमालय जैसे दिखते बाबूजी  ……… 

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