Monday, October 13, 2014

थोडा गुरुर रहने दे

सुरूर तुझको है, तू रख उसे करीने से,
थोड़ा गुरुर मुझमे है, उसे भी रहने दे  । 

मैं जैसा हूँ, मुझे वैसा ही रहने दे आनन्द,
मौत के बाद तो, हम सबको खाक होना है ।

तुझे गर फ़िक्र है दुनियां कि, ये भी बेहतर है,
मुझे फिर खुद में ही, थोड़ा सुमार रहने दे  ।

तुझे कुछ इल्म है, दुनियां की हक़ीक़त अगर,
मुझे जाहिल, थोड़ा अनपढ़, गँवार रहने दे ।

मोहोब्बत  का फरिश्ता तू, मिटा नफरत,
मुझे  तू प्यार का दुश्मन समझ, और बहने दे ।

सुरूर तुझको है, तू रख उसे करीने से,
थोड़ा गुरुर मुझमे है, उसे भी रहने दे  । 



Wednesday, October 1, 2014

सामने आया न करो ।

तुम्हे मगरूर कह कह के,
बनाई है दुकाँ हमने,
फिर तुम यूँ मासूम सी,
दुनियां को न दिख जाया करो । 

बिना कहे ही सौ नक़ाब,
भिजवाया था तुम्हे । 
बिना नक़ाब के,
फिर तुम सामने आया न करो ।