Friday, July 7, 2017

झील सी आँखे

थीं कुछ की आँखे झील,
तो कुछ रूप रंग में आगे थीं |
थें कुछ कातिल नयन नक्स,
कुछ हिरनी सी बाल खातीं थी ।
कुछ के दांतो के कायल थे,
कुछ के बालों पर मरतें थें
कैसे बयाँ करें तुमसे ,
हम किस चेहरे पर मरतेँ थे ।😄




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