Wednesday, October 11, 2017

पूराने ख़्वाब को, फेकूँ मैं कहाँ ?


तेरी हर बात तो, हर बार बदल जाती है,
मैं तेरे बात पर, कैसे यक़ीं करूँ ये बता ।।

फिर एक बार नए ख़्वाब, लेके आए हो,
पूराने ख़्वाब को, फेकूँ मैं कहाँ ये तो बता ।।

तेरे वादे अभी भी दफ़्न हैं, तकिए के तले,
मैं राज खोल दूँ, तुझको हो कोई डर तो बता ।।

मेरी आवाज़ को, तेरा शोर दबा दे शायद,
तू थोड़ा सब्र से, मेरी बात सुन सके तो बता ।।

मैं जानता हूँ, शहर भर में है बस तेरे चर्चे,
तू सबसे ऊब कर, एकांत में चल ले तो बता ।।


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