Friday, August 23, 2019

खुद के रँग में रँग जाने दो

मुझको गिरगिट बन जाने दो,
खुद के रँग में रँग जाने दो |
मुझे जंजीरों से बाँध गुरू,
मुझको खुद सा बन जाने दो ||

मुझको गिरगिट बन जाने दो,
खुद के रँग में रँग जाने दो | |

जो रँग चढ़े मुझ पर तेरा,
वो ही अंतिम रँग हो मेरा |
दे चरणों में स्थान प्रभु,
मुझको पावन हो जाने दो ||

मुझको गिरगिट बन जाने दो,
खुद के रँग में रँग जाने दो | |

मुझे पटको, पीटो, तोड़ दो तुम,
पावन  धारा से जोड़ दो तुम |
गर अर्थ ना  दूँ इस जीवन को,
मेरी हड्डी पसली तोड़ दो तुम ||

मुझको गिरगिट बन जाने दो,
खुद के रँग में रँग जाने दो | |

मैं हाड माँस का पुतला हूँ,
अधजल गगरी सा उथला हूँ |
मुझे उलट पुलट कूटो जमकर,
पर मानो  हद मुझको भर कर ||

मुझको गिरगिट बन जाने दो,
खुद के रँग में रँग जाने दो |  

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