TAPASHWANI
बे रस होती आधुनिक काव्य और तकनीक
Saturday, April 21, 2012
तू जब तक दूर थी ..
तू जब तक दूर थी, तेरी कमी हर पल अखरती थी,
तेर संग जीने मरने कि, बड़ी ख्वाहिस उमड़ती थी |
मैं हर पल ढूंढता था अक्स तेरा हर किसी में पर,
थे बीतें साल कितने ही, कोई तुझसी न दिखती थी |
To be continued.. By Tapashwani Anand
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