अपना तो मैं भूल चूका हूँ ,
बस तेरी यादें बाकि है |
भूली बिसरी शरद में लिपटी,
तेरी अह्सासें बाकि है |
याद ना हो तुझको शायद ,
तेरी यौवन का अल्हड़पन |
तेरी हर एक कमर के बल पर ,
वर्षों से रूहें घायल है |
बारिस कि बूँदों से घायल,
पिघल रहा वो चन्दन सा तन |
तेरी साँसों कि गर्मी से,
अब भी मेरी रातें पागल है |
माना याद नहीं तुमको कुछ,
ख़त, दस्तखत, वादें , यादें तक |
पर तेरी दांतों के बल पर,
मेरी जस्बातें घायल है |
बारिस कि बूँदों से घायल,
पिघल रहा वो चन्दन सा तन |
भूली बिसरी शरद में लिपटी,
तेरी अह्सासें बाकि है |