अपने अंदर से ये जब तक,
अहंकार न जायेगा |
तब तक पापी मन में बोलो,
ज्ञान कहाँ से आएगा |
ज्ञान कहाँ से आएगा |
धन, वैभव, सम्मान की चिंता,
जब माथे चढ़ जायेगा |
जब माथे चढ़ जायेगा |
कथनी और करनी में आनन्द,
साम्य कहाँ बन पायेगा |
साम्य कहाँ बन पायेगा |