अपना तो मैं भूल चूका हूँ ,
बस तेरी यादें बाकि है |
भूली बिसरी शरद में लिपटी,
तेरी अह्सासें बाकि है |
याद ना हो तुझको शायद ,
तेरी यौवन का अल्हड़पन |
तेरी हर एक कमर के बल पर ,
वर्षों से रूहें घायल है |
बारिस कि बूँदों से घायल,
पिघल रहा वो चन्दन सा तन |
तेरी साँसों कि गर्मी से,
अब भी मेरी रातें पागल है |
माना याद नहीं तुमको कुछ,
ख़त, दस्तखत, वादें , यादें तक |
पर तेरी दांतों के बल पर,
मेरी जस्बातें घायल है |
बारिस कि बूँदों से घायल,
पिघल रहा वो चन्दन सा तन |
भूली बिसरी शरद में लिपटी,
तेरी अह्सासें बाकि है |
यादों की सुब्दर तस्वीर पेश की है। बधाई।
ReplyDeleteBahut bahut shukriya Nirmala Ji
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ReplyDeleteAre bhai khatarnak..jabardast...fadu...etc etc
ReplyDeleteBhai tu 1 book hi likh dal....Aur pahli copy mujhe diyo autograph k sath.. :)
Thanks Shishal bhai !!
ReplyDeleteBilkul kyun nahi..
oye bhai apni book kab publish karwa raha hai.....
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