जो भूल कर, खुलकर कभी भी नहीं हँसता,
वो डरता है, बच्चे भटक जाएँ नहीं रस्ता ।
जो माँ से मिलकर, प्यार अपना भी लूटाता,
वो बाप है, ख़ुद को लुटा के घर बनाता है ।
दुख का हर तूफ़ान, ख़ुद पर झेलता है जो,
मुश्किलों के साथ, हरदम खेलता है वो ।
दर्द सब सहकर, हमेशा मुस्कुरा ले जो ।
कुछ ना पूछो, जान लो कि एक पिता है वो !
वो डरता है, बच्चे भटक जाएँ नहीं रस्ता ।
जो माँ से मिलकर, प्यार अपना भी लूटाता,
वो बाप है, ख़ुद को लुटा के घर बनाता है ।
दुख का हर तूफ़ान, ख़ुद पर झेलता है जो,
मुश्किलों के साथ, हरदम खेलता है वो ।
दर्द सब सहकर, हमेशा मुस्कुरा ले जो ।
कुछ ना पूछो, जान लो कि एक पिता है वो !
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