अब बांटने का चस्का,
ऐसा लगा आनंद |
घर-बार बाँट डाला,
और प्यार बाँट डाला |
जो फिर भी सुकूँ ना आया,
तो संसार बाँट डाला |
इधर छू कर गयी नहीं,
हवा साजिस लिए कोई |
हमने उधर तपाक से ,
जिस्म रूह बाँट डाला |
ऊपर है जिसका राज़,
वो सायद जुदा ना हो |
हमने जिसके नाम पर,
इन्सान बाँट डाला |