यकीं तो है कि फिर रंगत चमन कि लौट आएगी,
मगर सब जख्म भर जाए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
तुम्हारी याद दामन में, चिकोटेंगी मुझे जब भी,
तुम्हे मैं भूल पाऊँगा, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत, मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता | क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
वाह !!!!!
ReplyDeleteबड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
ReplyDeleteमगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
khubsurar achhi lagi rachna
बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
ReplyDeleteमगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
बहुत खूब। शुभकामनायें।
बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
ReplyDeleteमगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
@Ashish, Sunil ji, Nirmala ji, & Bhaskar Bhai
ReplyDeleteBahut bahut Dhanyawad !!!
Great feeling in simple words...amazing
ReplyDeletekeep rocking