Saturday, November 27, 2010

याद.........

यकीं तो है कि फिर रंगत चमन कि लौट आएगी,
मगर सब जख्म भर जाए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
तुम्हारी याद दामन में, चिकोटेंगी मुझे जब भी,
तुम्हे मैं भूल पाऊँगा, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |

6 comments:

  1. बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
    मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
    khubsurar achhi lagi rachna

    ReplyDelete
  2. बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
    मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
    बहुत खूब। शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  3. बड़ी मुश्किल से तेरी याद को, मैंने किया रुखसत,
    मगर तू याद न आए, मुझे मुमकिन नहीं लगता |
    क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.

    ReplyDelete
  4. @Ashish, Sunil ji, Nirmala ji, & Bhaskar Bhai

    Bahut bahut Dhanyawad !!!

    ReplyDelete
  5. Great feeling in simple words...amazing

    keep rocking

    ReplyDelete