Sunday, July 3, 2011

पाती

आग कुछ ऐसी लगी,
रिश्तों के खर पतवार में |
ढाई आखर भी नहीं,
कह पाए हम फिर आप से |
वो राह के रिश्ते ना थे,
जो जुड़ गए खुद आप से |
खुद आपने भेजी थी पाती,
दोस्ती के आस से |

1 comment:

  1. आग कुछ ऐसी लगी,
    रिश्तों के खर पतवार में |
    बहुत सुंदर भावाव्यक्ति ........

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