आग कुछ ऐसी लगी,
रिश्तों के खर पतवार में |
ढाई आखर भी नहीं,
कह पाए हम फिर आप से |
वो राह के रिश्ते ना थे,
जो जुड़ गए खुद आप से |
खुद आपने भेजी थी पाती,
दोस्ती के आस से |
रिश्तों के खर पतवार में |
ढाई आखर भी नहीं,
कह पाए हम फिर आप से |
वो राह के रिश्ते ना थे,
जो जुड़ गए खुद आप से |
खुद आपने भेजी थी पाती,
दोस्ती के आस से |
आग कुछ ऐसी लगी,
ReplyDeleteरिश्तों के खर पतवार में |
बहुत सुंदर भावाव्यक्ति ........