अच्छा लगता है, जब अपने,
उमड़ घुमड़ आ जातें है ।
उमड़ घुमड़ आ जातें है ।
छोटे सपने, बड़ी उम्मीदे,
बिन चाहे, घिर जातें है ।
उठा-पटक, धींगा-मस्ती,
हम जिन संग किये न थकते थे ।
बड़ा अटपटा लगता है,
जब वो ही सीधे हो जातें है ।
तोड़ के सारे बंधन,
फिर जुड़ जाने का दिल करता है ।
छोटी जिद्द और बड़ी शरारत,
दिल दोहराने को करता है ।
हर मोड़ पर दिल का खोना,
रोते रोते, दिन भर सोना ।
वो ख्वाबों में खो जाना,
और फिर ढूढ़ें नया बहाना ।
वो पैदल पैदल, कर करतल,
कुछ गलियों में गुम हो जाना ।
और शाम होते ही बरबस,
अच्छा बच्चा बन घर आ जाना ।
अच्छा लगता है, जब अपने,
उमड़ घुमड़ आ जातें है ।
छोटे सपने,,………।
Dedicated to all R.K I.C friends....
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