Monday, June 4, 2007
ना शाख बची बाक़ी कोई,
ना शाख बची बाक़ी कोई,सब शखा पुराने छूट गाएं |
अब तो रोटी के चक्कर में,सब धमा चौकड़ी भूल गाएं |
दिल मे यादें कुछ धूधली सी,कुछ काली सी कुछ उजली सी |
वो यार का ग़ुस्सा मोटा सा ,वो जान की मुस्की दुबली सी |
अब तो हऱ चौबारे पऱ, हऱ नल पऱ फ़ौवारे पऱ |
एक याद बची है धुंधली सी,कुछ काली सी कुछ उजली सी |
ग़ुस्से से गाल फूला लेना, फिर अगले पल मुस्का देना |
मेरे बारे में कहते कहते, फिर उसका आँख चुरा लेना |
वो मुझसे लड़ना रोज़ाना, फिर एकदम से शर्मा जाना |
वो बादल से बिजली गिरना, और उसका घबरा जाना |
मुझसे लड़ना मेरी खातिर, फिर घंटो तक चुप हो जाना |
मेरे पीछे मेरी खातिर, उसका दुनियाँ से लड़ जाना |
ना शाख बची बाक़ी कोई, सब शखा पुराने छूट गये |
अब तो रोटी के चक्कर में, सब धमा चौकड़ी भूल गये |
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दिल मे यादें कुछ धूधली सी,
ReplyDeleteकुछ काली सी कुछ उजली सी
वो यार का ग़ुस्सा मोटा सा
वो जान की मुसकी दुबली सी
वाह ! क्या बात है अच्छे भाव, अच्छा प्रवाह
पर वर्तनी की अशुद्धियाँ खटकती हैं। उस पर जरा ध्यान दें।
बहुत अच्छा, हमें भी अपने बचपन की याद दिला गई यह कविता।
ReplyDeleteतपस्विनी जी..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है, कुछ प्रयोगों से मैं बेहद प्रभावित हुआ:
वो यार का ग़ुस्सा मोटा सा ,
वो जान की मुसकी दुबली सी
एक याद बची है धुंधली सी,
कुछ काली सी कुछ उजली सी
*** राजीव रंजन प्रसाद
अच्छा लिखा है ....बधाई
ReplyDeleteतपस्विनी जी
ReplyDeleteबचपन की यादे हमेशा दिल को सुकून दिलाती है, आपने उसे कविता मे पिरोया बहुत अच्छा लगा
अच्छा लिखा है. आप खड़ी पाई ( । )की जगह ( / ) का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो खटकता है. खड़ी पाई लगाने के लिये( \ ) वाली की को शिफ्ट दबा कर इस्तेमाल करें. वैसे खड़ी पाई की जगह डॉट ( . ) का इस्तेमाल भी प्रचलन में है. कृप्या अन्यथा न लें, यह मात्र एक सुझाव है.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है,
ReplyDeleteग़ुस्से से गाल फूला लेना ,
फिर अगले पल मुसका देना /
मेरे बारे में कहते कहते ,
फिर उसका आँख चुरा लेना /
वो मुझसे लड़ना रोज़ाना,
फिर एकदम से सर्मा जाना /
वो बदल से बिजली गीरना,
और उसका घबरा जाना /
BACHAPAN KO SKAAR KAR DIYA TUMNE ..VERY NICE WORDS ...
ग़ुस्से से गाल फूला लेना ,
ReplyDeleteफिर अगले पल मुसका देना /
मेरे बारे में कहते कहते ,
फिर उसका आँख चुरा लेना /
वो मुझसे लड़ना रोज़ाना,
फिर एकदम से सर्मा जाना /
वो बदल से बिजली गीरना,
और उसका घबरा जाना
bhai main to aapka bhoot bada fan ho gaya aaj se....pehle to tha hi abb aur jyada ho gaya...bhoot behetreen likha hai....kassam se
पुरानी यादो की बहुत बढिया तस्वीर खींची है आपने शब्दों के माध्यम से .. लिखते रहिये
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