सब भाव यहाँ मिल जाएँगे,
शब्दों के जाल बनाओ अब |
जिससे भर जाए आंखे ,
कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ अब |
तेरा मेरा है अजर-अमर ,
रिस्तो के बाँध बनाओ अब |
जिससे सज जाए अम्बर,
एक ऐसा गाँव बसाओ अब |
हर दुआ असर दायक होगी,
मन्नत का दौर चलाओ अब,
जिससे भर जाए दामन ,
कुछ ऐसे ध्यान लगाओ अब |
बहुत हो चुका मार काट,
न ऐसे धर्म निभाओ अब |
इस बारूद के बिस्तर पर,
न ऐसे आग लगाओ अब |
सब भाव यहाँ मिल जाएँगे,
शब्दों के जाल बनाओ अब |
जिससे भर जाए आंखे ,
कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ अब
बहुत ही सुन्दर कविता
ReplyDelete----------
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हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख
बहुत सुंदर गीत...सरल शब्दों में गहरी बात...
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुंदर गजल.
ReplyDeleteआप का धन्यवाद
bahut hi achchee rachna hai.
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसब भाव यहाँ मिल जाएँगे,
शब्दों के जाल बनाओ अब |
जिससे भर जाए आंखे ,
कुछ ऐसी ग़ज़ल बनाओ अब
जिससे सज जाए अम्बर,
ReplyDeleteएक ऐसा गाँव बसाओ अब |
हर दुआ असर दायक होगी,
मन्नत का दौर चलाओ अब,
जिससे भर जाए दामन ,
कुछ ऐसे ध्यान लगाओ अब |
बहुत हो चुका मार काट,
न ऐसे धर्म निभाओ अब |
वाह वाह वाह !!! बहुत बहुत सुंदर......मन मगध कर दिया पंक्तियों के पवित्र भाव ने.
आप सभी के स्नेह और प्यार के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
ReplyDeleteउम्मीद करता हूँ की आप सभी के विचार इसी प्रकार मिलते रहेंगे
तपस्वनी
bahut hi sunder abhivyakti hai ashaa hai aapka ye sapna jroor pura hoki log manav dharam ki paribhaasha samajh len
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