जो आज मेरा है,
कल किसी और का होगा,
इस बाज़ार में कुछ,
बे वज़ह नहीं होता |
जुड़ें है लोग यहाँ ,
अपने किसी मकसद से,
बिना मतलब के कोई,
साथ अब नहीं देता |
वों वक्त और था,
जब खून बहा देतें थे,
अब बिना स्वार्थ
कोई हाँथ भी नहीं देता |
हर कोई बाटना चाहेगा,
ख़ुशी तेरे संग,
तेरा गम बांटने को,
कोई भी नहीं होगा |
जब तक जिंदा हो,
ये बोझ उठा कर चल लो,
आखिरी राह में कोई
हम सफ़र नहीं मिलता |
यहाँ आनंद सबको,
फिक्र है बस अपनों कि
बे वजह बात,
ज़माने कि वों नहीं करता |
सार्थक रचना
ReplyDeleteसत्य वचन! खरी-खरी!
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeletebahut bahut dhanyawad!1
ReplyDelete