छुपे हुए हैं घर के अंदर,
कितने बड़े बड़े शातिर ,
हम लगे हुए हैं लाइन में, सौ सौ के छुट्टो के खातिर ।
दो दिन धक्का मुक्की करके,
कुछ भी हिला नहीं पाया,
नए नए नोटों का पत्ता,
अब तक हाँथ नहीं आया ।
सुना है आकर्षण है भईया,
नए नोट के साइन में ,
सो काम धाम सब भूल भाल कर,
हम लगे हुए हैं लाइन में ।
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