जब हृदय कि बात कोई,
बिन कहे सुनने लगे |
और सारे रास्ते,
खुद आप से जुड़ने लगे |
जब हवा खुद रुख़ बदल कर,
आप संग चलने लगे |
और सारे फूल कलियाँ,
खुद राह मे बिछने लगे |
तुम चलो चाहे जहाँ,
और कारवाँ बनने लगे |
तेरी कही हर बात जब,
सारा जहाँ सुनने लगे |
जब समंदर खुद-ब-खुद,
देने लगे तुम्हे रास्ता,
बच के रहना खुद से भी,
कही हो ना जाए "हादसा"|
बच के रहना खुद से भी
ReplyDeleteकहीं हो ना जाये हादसाबहु बडिया
जब सारे ग्रह, सारे गण, दसों दिशाएं, सारी कायनात का आंचल अपने साये में ले ले तब तो हादसे के साथ ही हादसा हो सकता है।
ReplyDeleteaap sabhi ka TAPASHWANI par hardik swagat hai..
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