पंसारी के दूकान मे,पनवारी के पान मे,
मोची के जूते मे, गाय के खूटे मे,
महीने के राशन मे, नेता के भाषण मे,
पंडित के झोली मे, बोली ठिठोली मे,
फिल्म की कहानी मे, रात मच्छरदानी मे,
झूठे अस्वासन मे,अपनो के शासन मे,
परीक्षा के प्रश्नो मे, साधू के वचनो मे,
दिन के उजाले मे, रात के अंधेरे मे,
कविता के छंदों मे, अल्ला के बन्दो मे,
मंदिर के घंटों मे, मस्जिद के चोंगो मे,
जाम के प्याले मे, ख्वाबों ख़यालों मे,
क्रिकेट के छक्कों मे,और बस के धक्कों मे,
तराजू के बट्टो मे, जूओं मे सॅटो मे,
राहों के गड्ढों मे, अइयासी के अड्डों मे,
गोरी के बाहों मे,पीपल की छाँव मे,
जहाँ देखता हूँ मिलावट ही मिलावट है |
रात माँ की लॉरी मे,सपनो की डोरी मे,
बाबुल के कंधो मे, प्रेमी के पंजो मे,
ग़रीबी के चादर मे, अमीरी के खद्दर मे,
कॉलेज के यादों मे, हर एक वादों मे,
बागो मे गलियों मे,फूलों की कलियों मे,
पानी के फब्बरों मे,रंग के गुब्बारों मे,
ज़िंदगी के घेरे मे,शादी के फेरे मे,
थाली के रोटी मे, और जमाल घोटी मे,
सर के हर बॉल मे, चमड़े मे खाल मे,
जहाँ देखता हूँ मिलावट ही मिलावट है |
अरे नहीं भाई मेरे प्यार में कोई मिलावट नहीं है
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
bahut badhiya
ReplyDeleteबहुत बढिया ...मिलावट है......पर मां की लोरी में भी.....हां ....अगर वो फिल्मी लोरी गाए तो।
ReplyDeleteमिलावटी दुनिया हो ली है पूरी!! बढ़िया.
ReplyDeleteमिलावट का ज़माना है जी ..अच्छा लिखा है आपने
ReplyDeleteबिलकुल सही लिखा हर तरफ़ बस मिलावट ही मिलावट.... अरे एक जगह नही यह मूई मिलवाट... बिलकुल साफ़ ओर सुधरी... ओर वो है आप की यह कविता.
ReplyDeleteधन्यवाद
bahut bahut dhanyawaad..
ReplyDeleteapna pyar aur sujhav age bhi isi prakar dete rahe..
मिलावटी दुनिया में तो मिलावट खूब है,लेकिन
ReplyDeleteआपकी रचना में मिलावट वाह क्या खूब है।
bhai kuch to asli chod dete vese aapki kahi bahut achhi lagi
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामना !!!!!!
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