Wednesday, January 21, 2009

भेज़ा फ्राइ

पंसारी के दूकान मे,पनवारी के पान मे,
मोची के जूते मे, गाय के खूटे मे,
महीने के राशन मे, नेता के भाषण मे,
पंडित के झोली मे, बोली ठिठोली मे,
फिल्म की कहानी मे, रात मच्छरदानी मे,
झूठे अस्वासन मे,अपनो के शासन मे,
परीक्षा के प्रश्नो मे, साधू के वचनो मे,
दिन के उजाले मे, रात के अंधेरे मे,
कविता के छंदों मे, अल्ला के बन्दो मे,
मंदिर के घंटों मे, मस्जिद के चोंगो मे,
जाम के प्याले मे, ख्वाबों ख़यालों मे,
क्रिकेट के छक्कों मे,और बस के धक्कों मे,
तराजू के बट्टो मे, जूओं मे सॅटो मे,
राहों के गड्ढों मे, अइयासी के अड्डों मे,
गोरी के बाहों मे,पीपल की छाँव मे,
जहाँ देखता हूँ मिलावट ही मिलावट है |

रात माँ की लॉरी मे,सपनो की डोरी मे,
बाबुल के कंधो मे, प्रेमी के पंजो मे,
ग़रीबी के चादर मे, अमीरी के खद्दर मे,
कॉलेज के यादों मे, हर एक वादों मे,
बागो मे गलियों मे,फूलों की कलियों मे,
पानी के फब्बरों मे,रंग के गुब्बारों मे,
ज़िंदगी के घेरे मे,शादी के फेरे मे,
थाली के रोटी मे, और जमाल घोटी मे,
सर के हर बॉल मे, चमड़े मे खाल मे,
जहाँ देखता हूँ मिलावट ही मिलावट है |

10 comments:

  1. अरे नहीं भाई मेरे प्यार में कोई मिलावट नहीं है


    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    चाँद, बादल और शाम

    ReplyDelete
  2. बहुत बढिया ...मिलावट है......पर मां की लोरी में भी.....हां ....अगर वो फिल्‍मी लोरी गाए तो।

    ReplyDelete
  3. मिलावटी दुनिया हो ली है पूरी!! बढ़िया.

    ReplyDelete
  4. मिलावट का ज़माना है जी ..अच्छा लिखा है आपने

    ReplyDelete
  5. बिलकुल सही लिखा हर तरफ़ बस मिलावट ही मिलावट.... अरे एक जगह नही यह मूई मिलवाट... बिलकुल साफ़ ओर सुधरी... ओर वो है आप की यह कविता.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. bahut bahut dhanyawaad..
    apna pyar aur sujhav age bhi isi prakar dete rahe..

    ReplyDelete
  7. मिलावटी दुनिया में तो मिलावट खूब है,लेकिन
    आपकी रचना में मिलावट वाह क्या खूब है।

    ReplyDelete
  8. bhai kuch to asli chod dete vese aapki kahi bahut achhi lagi

    ReplyDelete
  9. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामना !!!!!!

    ReplyDelete