उसने दस्तक दिया मेरे दर पर बहुत ,
फोने कर के मुझे फिर बुलाता रहा ||
पी के सोया था घर मे जो उस रात को ,
बॉस दो रात तक फिर जगाता रहा ||
फ्री कि मुझको मिली और मैं पीता गया,
जाने कब पाँव फिर लड़खड़ाने लगा ||
दोष मेरा ना था, पर मैं बदनाम था,
हर कोई मुझपर तोहमत लगाता गया ||
मेरे चेहरे का कुछ और ही हाल था,
दाँत थे हिल रहे, जबड़ा बेहाल था ||
देखकर शर्मा गया आईना भी मुझे ,
अपना परिचय जब उससे कराने लगा ||
पेट मे थी कसक, पैर बेहाल था,
पीठ पर दर्द का आया भूचाल था ||
भूलकर दर्द को घर से निकला ही था,
शोर आने लगी वो गया साल था ||
उसने दस्तक दिया मेरे दर पर बहुत ,
फोने कर के मुझे फिर बुलाता रहा ||
पी के सोया था घर मे जो उस रात को ,
बॉस दो रात तक फिर जगाता रहा ||
उसने दस्तक दिया मेरे दर पर बहुत ,
ReplyDeleteफोने कर के मुझे फिर बुलाता रहा ||
पी के सोया था घर मे जो उस रात को ,
बॉस दो रात तक फिर जगाता रहा ||
bahut achchey!